Best hindi poem-मयखाना
मयखाना
महीनों भर हम रहे हैं प्यासे,
मिला नहीं मय का प्याला।
इतने दिनों में हमनें जाना,
बिन मय हम जीनेवाला।
अब जब हमनें रिश्ता तोड़ा,
मय से और मयखाने से।
फिर से सामने सजधज आ गई।
नये रूप में मधुशाला।
कफन बांध के साकी निकला,
लंबी लोगों की माला।
बूंद-बूंद से मरे कोरोना,
एक ही रट जपनेवाला।
सड़क थी खाली, सूूनी गलियों
काम धंधे सब बंद पड़े।
बाजारों में लाई रौनक,
एक अकेली मधुशाला।
मदिरालय के सामने देखों,
इंसानों की हैं माला।
हर कर हैं बेचैन यहाँ पर,
जल्दी पा जाए हाला।
कल तक जो रोटी को तरसे,
वो भी है कतारों में,
आज पियूँगा मैं जी भरके,
चीख रहा है मतवाला।
चाहे मुझसे ये जग रूठे,
चाहे पड़े कहीं पाला।
शिक्षण संस्था बंद हैं सारे,
सब पे लगा दिया ताला।
पढ़ेगा भारत,बढ़ेगा भारत,
मंच पे ये कहने वाला।
अपने देश का नाश कराने,
निकल पड़ा हैं मतवाला।
बंद है रोजी रोटी यहाँ पे,
खुल गई देखो मधुशाला।
अनिल कुमार मंडल
शिक्षण संस्था बंद हैं सारे,
सब पे लगा दिया ताला।
पढ़ेगा भारत,बढ़ेगा भारत,
मंच पे ये कहने वाला।
अपने देश का नाश कराने,
निकल पड़ा हैं मतवाला।
बंद है रोजी रोटी यहाँ पे,
खुल गई देखो मधुशाला।
अनिल कुमार मंडल
लोको पायलट/ग़ाज़ियाबाद
संपर्क सुत्र:-9205028055

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