जिंदगी की जंग में

  जिंदगी की जंग में

मौत का सामान लेकर,
जिंदगी के जंग में,
कुछ बटोही चल पड़ा है ,
अब तो मेरे संग में,
पटरी पर है जिंदगी,
सनसनाती भागती,
जिंदगी मेरे भरोसे,
सब हैं इसको मानती।
फिर भी हम दोषी खड़े हैं,
जिंदगी के जंग में,।
कुछ तो मुझको गाली देते,
कुछ कहे में भंग में।
कुछ बटोही चल पड़ा है,
अब तो मेरे संग में।
रेल से अंजान था मैं,
अब रंगा हूँ रंग में।
वर्षों हमने की है तपस्या,
रेलवे के संग में।
तब जाकर पाया हैं बटोही,
मैं तो अपने संग में।
कुछ बटोही चल पड़ा हैं
अब तो मेरे संग मे l
रात भर आंखें निचोङी,
सबथे अपने ढंग में।
अब मैं थक कर चूर हुआ हूं,
दर्द है हर अंग में।
तब जाकर ये राही मिलते,
कुछ पथिक के संग में।
कुछ बटोही चल पड़ा है,
अब तो मेरे संग में।
मौत का समान लेकर
जिंदगी की जंग मे l

                 अनिल कुमार मंडल
            लोको पायलट/ग़ाज़ियाबाद
                    9205028055 

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